पचहत्तर वर्ष पूर्व स्वतंत्र भारत के प्रथम भारतीय गवर्नर जनरल सी राजगोपालाचारी ने एक वक्तव्य दिया था कि कन्नड़ा तमिळ से जन्मी भाषा है। कन्नड़ा साहत्यिकारों द्वारा इस वक्तव्य के कड़े विरोध के बाद उन्हें क्षमायाचना करनी पड़ी थी। भाषायी बयानबाजी को लेकर बदहजमी की यह शिकायत अब भी बनी हुई है इसका पता हाल […]
Read More... सन 1953 में वी शांताराम की एक फिल्म आई थी तीन बत्ती चार रास्ता जिसमें भारत की भाषायी विविधता को विषय बनाया गया था। इसके चार वर्ष पूर्व 14 सितंबर 1949 को हिन्दी को भारत की आधिकारिक भाषा घोषित किया गया था। हालांकि तमिळनाडु मे हिन्दी का विरोध स्वतंत्रता के पूर्व 1937 में ही […]
Read More... कांजीवरम की रेशमी साड़ी देवताओं की भी प्रिय रही है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार ऋषि मार्कंडेय देवताओं के प्रधान बुनकर थे। वह कमल के रेशे से भी वस्त्र बुन सकते थे। उन्हें कांजीवरम बुनकरों का पूर्वज माना जाता है। . एक बार भगवान शिव ने मार्कण्डेय ऋषि से संसार के लोगों की नग्नता […]
Read More..इस वर्ष भी मेरे तमिळ मित्र रंजीत ने मुझे मीनभरणी उत्सव में आने का निमंत्रण दिया है। अब तक दो बार मैं इसे देख चुका हूं। भौगोलिक दूरी के बावजूद तीसरी बार वहां जाने के लिए मेरे उत्साह में कोई कमी नहीं है। यह उत्सव है ही ऐसा। इसकी परम्परा और रीतियां भक्तों और पर्यटकों […]
Read More..इन दिनों एयरटेल की एक कर्मचारी और एक मराठी युवक की हिन्दी को लेकर आपसी बहसबाजी सोशल मीडिया में बहुत छाई हुई है। जहां जहां यह वीडियो दिखाया जा रहा है वहां वहां हिन्दी के कई समर्थक “अंगरेज़ी “ टिप्पणियों या रोमन हिन्दी में लिखी हिन्दी टिप्पणियों द्वारा अपने विचार व्यक्त कर रहे हैं। . […]
Read More..इन दिनों इंटरनेट पर एक दुख भरा ओडिया गाना “छी. छी..छी.. रे नोनी छी!” तरंगायित अर्थात् वायरल हो रहा है। कुछ दिनों पहले तक “आज की रात मजा हुस्न का आंखों से लीजिए” देखकर निहाल होने वाले लोग इस करुण गीत पर हंसते नहीं थक रहे हैं। कारण इस गाने के बोल और स्थानीय कलाकारों […]
Read More..दिसम्बर के उत्तरार्ध में जहां विश्वभर में क्रिसमस की तैयारियां परवान चढ़ने लगती हैं वहीं चेन्नै में एक निराला ही समा बंधने लगता है। अलसभोर में कपालीश्वर मंदिर की पुष्करिणी में उदीयमान सूर्य की रश्मियों के अवगाहन से पूर्व ही कदाचित् मैलापोर की मडा वीथियों में हारमोनियम की संगत पर भजन गूंजते सुनाई दें तो […]
Read More..तमिळनाड से एक नया विवाद इन दिनों सुर्खियों में है। अवसर था दूरदर्शन चेन्नै के स्वर्णजंयती समारोह और हिन्दी माह के समापन समारोह का सहआयोजन जहां तमिळ राज्यगान “तमिळत्ताय वालत्त” के गायन में द्रविड़ शब्द के उच्चारण में हुई चूक मुख्यमंत्री स्टालिन को बहुत नागवार गुजरी। सदा की तरह उनका कोपभाजन बने तमिळनाड के राज्यपाल […]
Read More..हाल ही में प्रदर्शित चलचित्र आवेशम ने मलयालम के एक भक्तिगीत करिंगालियल्ले.. के बोलों को पुन: लोकप्रिय कर दिया। इस गीत की पृष्ठभूमि में विरोधाभासी भावों की मुखमुद्रा बनाकर इंस्टाग्राम पर कई रीलें बनीं और क्षणिक मनोरंजन के चलन में इसका गंभीर अर्थ गैरमलयाली लोगों पर उजागर नहीं हो पाया। जब गुजराती भजन “जूनाड़ा मा […]
Read More... अभिनेता पृथ्वीराज सुकुमारन की आगामी फिल्म आडजीवितम नजीब के आंसुओं की स्याही से लिखा गया त्रासदी का एक वास्तविक दस्तावेज़ है जो इसे सभी काल्पनिक कृतियों से निराला बना देता है। खाड़ी देशों में प्रवासी मलयालियों के जीवन और संघर्ष पर मलयालम सिनेमा में कई चलचित्र बने हैं जैसे आयशा, गदम्मा, म्याऊं, अरबीकथा, डायमंड […]
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