पचहत्तर वर्ष पूर्व स्वतंत्र भारत के प्रथम भारतीय गवर्नर जनरल सी राजगोपालाचारी ने एक वक्तव्य दिया था कि कन्नड़ा तमिळ से जन्मी भाषा है। कन्नड़ा साहत्यिकारों द्वारा इस वक्तव्य के कड़े विरोध के बाद उन्हें क्षमायाचना करनी पड़ी थी। भाषायी बयानबाजी को लेकर बदहजमी की यह शिकायत अब भी बनी हुई है इसका पता हाल ही में चला जब चेन्नई में अपनी फिल्म ठग लाइफ के प्रचार के सिलसिले में प्रसिद्ध अभिनेता कमल हासन भी इसी वक्तव्य को लेकर विवादों में आ गये। अपने भाषण की शुरुआत में उन्होंने कहा, “उयिरे उरवे तमिळे” अर्थात् मेरा जीवन और परिवार तमिळ है। बाद में उन्होंने वहां उपस्थित कन्नड़ा अभिनेता शिवराजकुमार से अपनापन जताते हुए कहा कि कन्नड़ा भाषा भी तमिळ से ही जन्मी है इस नाते वे भी उनके स्वजन ही हैं। उनके इस कथन ने कई कन्नड़ा विद्वानों और कन्नड़िगाओं को अप्रसन्न कर दिया और वे उनका और उनकी फिल्म का विरोध करने लगे। कमल हासन ने क्षमायाचना नहीं की और न ही कर्नाटक उच्च न्यायालय ने उनका साथ दिया इसलिए ठग लाइफ कर्नाटक में प्रदर्शित भी नहीं हुई।
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दक्षिण भारत में कोई भी भाषायी विवाद आमतौर पर हिन्दी को लेकर ही होता है। हिन्दीभाषी प्रवासियों की बढ़ती जनसंख्या, हिन्दी को राष्ट्रभाषा बताकर दक्षिणभारतीयों पर थोपना उन्हें रुष्ट करते रहते हैं। हिन्दी के विरोध में एकजुट होने वाले राज्य पारस्परिक भाषायी मतभेद को इतना महत्त्व देते हुए कम ही दिखते हैं। हालांकि कर्नाटक और तमिळनाड में कावेरी नदी के जल के बंटवारे को लेकर गंभीर विवाद होता रहता है।
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ज्ञातव्य है कि कमल हासन का जन्म तमिळनाड के परमकुडी में एक तमिळ आयंगर ब्राह्मण परिवार में हुआ था। वे दक्षिण भारत की सभी प्रमुख भाषाएं अर्थात् तमिळ, मलयालम, तेलुगु, कन्नड़ा धाराप्रवाह बोलने में सक्षम हैं। उन्होंने अपनी पहचान एक महान बहुभाषी भारतीय अभिनेता के रूप में बनाई है और किसी एक भाषा को लेकर पूर्वग्रह की अपेक्षा उनसे नहीं की जा सकती। इसके अतिरिक्त जैसा कि कमल हासन ने स्वयं कहा, तमिळनाड एक ऐसा उदार राज्य है जहां एक मेनन (मलयाली), एक रेड्डी (तेलुगु) और एक कन्नड़िगा आयंगर मुख्यमंत्री रह चुके हैं।
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टपोरियों को एक मुहावरा इस्तेमाल करते बहुधा सुना जाता है, “मां बहन एक करना“। कमल हासन के वक्तव्य ने भी ऐसा ही कुछ किया है। तमिळ को कन्नड़ा की मां मानने के बजाय कन्नड़िगा दोनों भाषाओं को “ओन्डे ताय मक्कलु” अर्थात् एक ही मां की पुत्रियां मानते हैं। कन्नड़ा लेखकों, व्याख्याताओं और पुरालेखशास्त्रियों के अनुसार द्रविड़ भाषा समूह में आदिवासी भाषाओं को मिलाकर कुल 130 भाषाएं हैं। इनमें पांच मुख्य भाषाएं हैं: तमिळ, तुलु, कन्नड़ा, तेलुगु तथा मलयाळम। चार हजार वर्ष पूर्व ये पांचों द्रविड़ भाषाएं पृथक पृथक न होकर एक ही आदिद्रविड़ भाषा हुआ करती थीं। वह आदिद्रविड़ भाषा तमिळ नहीं थी। आदिद्रविड़ भाषा तमिळ से भी पांच सौ वर्ष पुरानी है। आदिद्रविड़ से पृथक होने वाली दूसरी भाषा तुलु थी जो तटीय क्षेत्रों में फैल गयी। दूसरी शताब्दी के आसपास कन्नड़ा एक स्वतंत्र भाषा के रूप में विकसित हुई। कन्नड़ा लिपि ब्राह्मी लिपि से विकसित हुई जिसे बौद्धों और जैनियों ने प्रचारित किया था। कन्नड़ा पर संस्कृत का बहुत प्रभाव पड़ा। कन्नड़ा में महाप्राण व्यंजन हैं (ख, छ, थ, ध) जिन्हें संस्कृत से लिया गया है।
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कई लोग इस बात से अनभिज्ञ हैं कि एक द्रविड़ भाषा जिसे ब्राहुइ कहते हैं वह ईरान, अफगानिस्तान और बलूचिस्तान में बोली जाती है। लंबे समय तक फारसी शासन के अधीन रहने के कारण ब्राहुइ में फारसी का बहुत प्रभाव दिखता है किंतु इसके द्रविड़ मूल को नकारा नहीं जा सकता। इस भाषा में ओन्ड (एक) येराड ( दो) मूरु (तीन) और दूसरे द्रविड़ शब्द मिलते हैं।
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तमिळ और कन्नड़ा में कई दिलचस्प समानताएं और विषमताएं हैं। हलेकन्नड़ा और प्राचीन तमिळ में बहुत समानताएं प्रतीत होती हैं जबकि आधुनिक कन्नड़ा और आधुनिक तमिळ परस्पर भिन्न प्रतीत होती हैं। कई शब्दों में तमिळ का प कन्नड़ा में ह बन जाता है जैसे पाल-हालु (दूध), पुली-हुली (बाघ ), पगल-हगलु (दिन), पसु-हसु (गाय), पूव-हुवु (पुष्प) इत्यादि।
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चौदहवीं शताब्दी में रचित मणिप्रवाल व्याकरण ग्रंथ लीलातिलकम् के रचनाकार ने केरला, पांडियन, और चोळ राज्यों की भाषाओं को द्रमिड़ (द्रविड़) समूह में और करण्टा (कन्नड़ा) और आन्ध्रा (तेलुगु) भाषाओं को द्रमिड़ समूह से बाहर रखा है। उनके अनुसार ये दोनों भाषाएं तमिळ वेद तिरुवायमोड़ी की भाषा के समान नहीं है। हालांकि वे मानते हैं कि दूसरे विद्वान करण्टा और आन्ध्रा भाषाओं को भी द्रमिड़ समूह में रखेंगे।
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एक प्रतिभाशाली भारतीय अभिनेता के रूप में कमल हासन ने भले ही सभी भारतीय दर्शकों का हृदय जीता हो किंतु उनसे कई विवाद भी जुड़े हैं जैसे:
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मक्कल नीति मैयम नामक राजनीतिक दल के संस्थापक कमल हासन ने छह वर्ष पूर्व अपने दल के प्रत्याशी के लिए मतदान की अपील करते हुए कहा था कि स्वतंत्र भारत का पहला आतंकवादी एक हिन्दू था। उनका संकेत नाथूराम गोड़से की ओर था। उनके इस बयान ने बहुत सुर्खियां बटोरी और उनकी बहुत आलोचना भी हुई।
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वर्ष 2000 में उनके द्वारा निर्देशित और अभिनीत फिल्म हे राम को लेकर भी यह धारणा बनी कि वह एक गांधीविरोधी फिल्म थी। स्वयं कमल हासन का मानना था कि किशोरावस्था में अपने माहौल के कारण वे महात्मा गांधी के कटु आलोचक बन गये थे। 24-25 वर्ष की आयु में उन्होंने स्वयं गांधी को समझना प्रारंभ किया और उनकी फिल्म हे राम गांधीजी से उनकी क्षमायाचना थी।
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2010 में आई उनकी फिल्म मन्मदन अम्बु में उनके लिखे गीत कण्णोड़ कण्णै कलन्दै (नजरों से नजरें मिलें तो) को लेकर भी विवाद हुआ जो विरोध करने वालों के अनुसार बहुत अश्लील था और उसमें अरंगनाथार और वराहलक्ष्मी का उल्लेख भी था। यह गाना फिल्म से हटा दिया गया था।
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2013 में आई उनकी फिल्म विश्वरूपम पर मुस्लिम समुदाय की नकारात्मक छवि प्रस्तुत करने का आरोप लगा था।
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इतने सारे विवादों को मात्र एक संयोग नहीं माना जा सकता है। इन दिनों विवाद उत्पन्न करना प्रचार का एक हथकंडा बन चुका है। यह भी एक सुनियोजित प्रचार नीति है जिसे अनावश्यक तूल दिया गया। अपनी बयानबाजी और अड़ियल रवैये से कमल हासन की फिल्म को भले ही थोड़ी बहुत हानि हुई हो किंतु इससे निशुल्क प्रचार के साथ साथ तमिळनाड में उनके राजनीतिक दल को लाभ अवश्य मिलेगा।
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