हिन्‍दी सिने गीतों में बिखरी प्रादेशिक भाषाओं की छटा

Ajay Singh Rawat/ May 3, 2025

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सन 1953 में वी शांताराम की एक फिल्‍म आई थी तीन बत्ती चार रास्‍ता जिसमें भारत की भाषायी विविधता को विषय बनाया गया था। इसके चार वर्ष पूर्व 14 सितंबर 1949 को हिन्‍दी को भारत की आधिकारिक भाषा घोषित किया गया था। हालांकि तमिळनाडु मे हिन्‍दी का विरोध स्‍वतंत्रता के पूर्व 1937 में ही प्रारंभ हो गया था जब नवनिर्वाचित कांग्रेस ने सरकारी विद्यालयों में हिन्‍दी शिक्षा को अनिवार्य करने का सरकारी आदेश जारी किया था। अस्‍तु इस लेख का उद्देश्‍य हिन्‍दी विरोध पर चर्चा करना नहीं अपितु हिन्‍दी सिनेमा में प्रादेशिक भाषाओं की सुरीली उपस्‍थिति के विषय पर बात करना है। इसलिए तीन बत्ती चार रास्‍ता के उस गीत का उल्‍लेख करना आवश्‍यक है जिसमें अनेक भारतीय भाषाओं का समावेश किया गया था। यह गीत बंगाली पंक्‍ति ओ रे पोरान बोन्‍धु रे से प्रारंभ होता है और तमिळ, सिन्‍धी, मराठी, गुजराती, पंजाबी और हिन्‍दी पंक्‍तियों को समेटते हुए पूरा होता है। इन सभी भाषाओं के हिस्‍सों को उस भाषा को जानने और बोलने वाले गीतकारों और संगीतकारों ने ही सिरजा था।

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चेन्‍नै एक्‍प्रेस के गाने बन के तितली दिल उड़ा की शुरुआत तमिळ की इन पंक्‍तियों से होती है
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कोण्‍डल वण्‍णनैक् कोवलनाय वेण्‍णै उण्‍ड वायन एन उल्‍लम कवरन्‍दानै
अण्‍डरक्‍कोन अणि अरंगन एन अमुदिनैक्कण्‍ड कण्‍णकल मट्रोण्‍ड्रिनै काणादे
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यह वस्‍तुत: ग्यारहवें आलवार तिरुप्‍पन की तमिळ कृति अमलनादिपिरान से ली गयी स्‍तुति है जिसमें भगवान विष्‍णु के सौंदर्य का इस प्रकार वर्णन किया गया है:
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मेरे इन नयनों ने मेघ जैसे श्‍याम रंग वाले को देख लिया है जो ग्वाला है, जिसने मक्‍खन चुरा कर खाया है, जो जगत का स्‍वामी है, जो भगवान रंगनाथ हैं और मेरे लिए अमृत हैं। मेरे नयन अब किसी और को नहीं देखेंगे।
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फिल्‍म दिल से के लोकप्रिय गीत जिया जले जान जले में समूहगान के रूप में एक मलयालम गीत भी सुनाई देता है:

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पुंजिरि तंजि कोंजिक्‍को
मुंदिरि मुदोलि चिन्‍तिक्‍को
मोन्‍जनि वर्णा चुन्‍दरी वावे
तांकुनक्‍का ताकातिमि आडुम तांकानिलावे होय
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तंका कोलुसल्‍ले
कुरूकुम कुयिलल्‍ले
मारन आ मयिलल्‍ले
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हे कुरुवनिकिलिये, कुरुवनिकिलिये,
कुरु कुरूकुरू कूकी कुरुकि, कुन्‍निमरत्तिल उयल आडि
कूडुम उरिक्‍कि कूटु विलिकुन्‍ने
मारन निन्‍ने कूकि कुरुक्‍कि कूटु विलिकुन्‍ने
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अर्थात्
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मुस्‍कराओ और मेरे साथ मन बहलाओ
अंगूर जैसे मधुर चुम्‍बनों के बारे में सोचो
तांकुन्‍ना ताकातिमि (ढोल की थाप)
सुनहरी चांदनी में नृत्‍य करो
तुम सोने की पायल सरीखी हो न
कूकते वाली कोयल जैसी हो न
अपने प्रेमी का मयूर हो न
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अरे कूकने वाली चिड़िया
फली के पेड़ पर झूलती, कूकती हुई
घोंसला बनाकर वह तुम्‍हें बुला रहा है
तुम्‍हारा प्रेमी तुम्‍हें बार बार बुला रहा है

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हिन्‍दी फिल्‍मों में पंजाबी गाने या हिन्‍दी गानों में पंजाबी शब्‍दावली बहुत आम हो गयी है। किंतु कई लोकप्रिय गीत ऐसे भी हैं जिनमें आंशिक रूप से दूसरी भारतीय प्रादेशिक भाषाओं ने भी अपनी छटा बिखेरी है। ऐसे ही कुछ गीतों का उल्‍लेख मैंने करने का प्रयास किया है।
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बाजीराव मस्‍तानी के गीत “नजर जो तेरी लागी मैं दीवानी हो गई” का प्रारंभ मराठी बोलों से होता है:
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नभातून आली अप्सरा
नभातून आली अप्सरा
अशी सुंदरा साज सजपून
आली आली आली, आली गं आली
केसामधी मांडला गजरा
लोकाच्या नजरा खिल्या तिच्यावर, हा
आली आली आली, अहा
दुनियाची प्यारी तू अगं राणी हरणी गं
अगं राणी सुंदरा, हा-हा-हा-हा
आली गं आली, आली गं आली
ओ महाराणी आली
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अर्थात्
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आकाश से कोई अप्‍सरा उतरी है
इतनी सुन्‍दर और सजी धजी
उसके केशों में गजरा सजा है
सबकी दृष्‍टि उस पर टिकी है
वह लोकप्रिय है
हरिणी जैसी है
सुन्‍दरी रानी
वह आ गई है
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हिन्‍दी फिल्‍म जब वी मेट का यह गाना बहुत लोकप्रिय है:
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जग सारा जग सारा निखर गया
हुण प्‍यार हवा दे विच बिखर गया
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यह गाना वैसे पंजाबी है किंतु इसमें एक असमिया बालगीत के बोल भी अन्‍तर्निहित हैं:
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रोडाली ए रोड दे
आली काटी जाली दिम
बोर पिरा पारी डिम
ताते बोही बोही रोड दे
ताते बोही बोही रोड दे
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इस तरह के गीत को असमिया संस्‍कृति में उमला गीत कहा जाता है। गांव के बच्‍चे जब भारी वर्षा के कारण धान के खेतों में खेलने नहीं जा पाते हैं तो सूरज की खुशामद करते हैं ताकि धूप निकल आए। यह कविता अंगरेजी की एक लोकप्रिय बाल कविता रेन रेन गो अवे है, कम अगेन अनादर डे, लिटिल जॉनी वान्‍टस टू प्‍ले की याद दिलाती है।

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इसी तरह परिणीता फिल्‍म के गीत ये हवाएं, गुनगुनाएं पूछे तू हैं कहां की शुरुआत इन नेपाली पंक्‍तियों से होती हैं:
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कस्‍तो मज़ा है रेलै मा
रमैलो उकाली ओराली
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जिसका अर्थ है कि जब पर्वतीय क्षेत्र में रेल ऊंचे नीचे रास्‍तों पर चलती है तो कितना मजा आता है।
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इसी तरह प्‍यार में कभी कभी फिल्‍म के एक गाने में भी इन नेपाली पंक्‍तियों का प्रयोग हुआ था:
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मुसु मुसु हासि द्यो मा लाइ लाइ मुसु मुसु हासि द्यो
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जिसका अर्थ इस गीत की अगली पंक्‍ति ही थी अर्थात् जरा मुस्‍करा दे

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1969 में आई फिल्‍म तलाश में भी ऐसा एक गीत है जिसके शुरुआती बोल नेपाली में हैं:
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अरे ओनस ओनस आज को जुनली रात मा
ओ जेठी, ओ मायली, ए सैली, ओ कांचा
केजा शुनो भाटी गांगाया…

अर्थात्

अरे आओ आओ आज की चांदनी रात में
ओ बड़ी, ओ मंझली, ओ तीसरे नंबर की, ओ छोटे
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नेपाली की तरह कश्‍मीरी बोलों का प्रयोग भी कई हिन्‍दी गानों में हुआ है विशेषकर कश्‍मीर की पृष्‍ठभूमि पर बनी फिल्‍मों में जैसे:

मिशन कश्‍मीर
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बुमरो बुमरो श्‍याम रंग बुमरो
अर्थात् भंवरे भंवरे काले रंग के भंवरे
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रिन्‍द पोशे माल गिन्‍दने द्राये लो लो
बेफिक्र पोशे माल (लड़की का नाम) खेलने के लिए बाहर आ गई है।
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राजी में बेटी के विदाई गीत में
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बह छस्‍से खानमज कूर,
दयु मे रूखसाथ म्‍यान बायेजानो
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अर्थात् मैं सबसे लाडली बेटी हूँ,
मुझे विदा करो, मेरे भाई,
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लम्‍हा
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भि चुस शब से सुबह,
मीलिथ दोश्‍वय जुदा
भि चुस लब से दुआ,
मीलिथ दोश्‍वय जुदा
मदनो, माशूको, दिलबरो
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ये पंक्‍तियां दरअसल इसी गाने की कुछ पंक्‍तियों का कश्‍मीरी अनुवाद हैं:
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मैं हूं शब तू सुबह
दोनों जुड़ के जुदा
मैं हूं लब तू दुआ
दोनों जुड़ के जुदा
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मदनो का अर्थ कश्‍मीरी में प्रिय होता है।

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हामिद
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हुक्‍कुस बुक्‍कुस तेल्लि वन चे कुस
ओनुम बत्तुक्‍क लोदुम देग
शाल किच किच वांगयम
भ्रिम जि हारस पोन छोक्‍कुम
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इसका आशय इस गाने की अगली पंक्‍तियों में बताया गया है:
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तुम हो कौन और मैं हूं कौन
रहता वो हम और तुम में मौन
रूहों के वो जोड़े तार
वही सिखाए दिल को प्‍यार
वो ही देता धूप में साया

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यह कविता कश्‍मीरी साध्‍वी लाल डेड के समय की है और मौलिक रूप में इस प्रकार है:
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त्‍से कुस बे कुस
तेलि वन सु कुस
मोह बतुक लोगुम देग
श्‍वास खिच खिच वांग-मयम
ब्रह्मन दरस पोयुन छोकुम
तेकिस तक्‍या बने त्‍युक
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अर्थात्
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तुम कौन हो और मैं कौन हूं
फिर बताओ हम दोनों में व्‍याप्‍त वह सृष्‍टा कौन है
मैं अपनी इंद्रियों को प्रतिदिन सांसारिक भोगों से तृप्‍त करता हूं
जब मेरी सांस बिल्‍कुल पवित्र हो जाती है
तो लगता है मेरा मन दिव्‍य प्रेम में स्‍नान कर रहा है
तब मुझे अपने चंदन का तिलक होने की दिव्‍य अनुभूति होती है